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सावरकर ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर गाय को मारकर खा सकते हैं..!

गाय को पूजना मनुष्य का स्तर गिराना है।

!ताकि सनद रहे!
#सावरकर_ने_लिखा_था:

#गोपालन_हवे_गोपूजन_नव्हे.!

०गाय उपयोगी लेकिन उसे पूजना
मनुष्य का स्तर गिराना है।
०ज़रूरत पड़ने पर गाय को मार
कर खाया जा सकता है।
० मुसलमानों से नहीं बल्कि गाय
की पूजा करने से हारे थे हिन्दू

० डॉ राकेश पाठक

क्या आप जानते हैं कि हिंदुत्व के पुरोधा विनायक दामोदर सावरकर के गाय के बारे में क्या विचार थे..!

  • आइए आपको विस्तार से बताते हैं..

दरअसल सन 1930 में गाय को लेकर समाज में ख़ूब विमर्श चल रहा था। मराठी भाषा के जर्नल ‘भाला’ में एक प्रश्नोत्तर आया..
वास्तविक हिन्दू कौन है?
उत्तर में कहा गया-वह जो गाय को अपनी माता मानता है।

इस प्रश्नोत्तर पर सावरकर ने मराठी भाषा में ही निबंध लिखा। शीर्षक था-
‘गोपालन हवे,गोपूजन नव्हे..’
अर्थात गाय की देखभाल हो,उसकी पूजा नहीं।

यह निबंध सावरकर की क़िताब ‘विज्ञाननिष्ठ निबंध’ भाग-1,भाग-2 में प्रकाशित हुआ। क़िताब ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक प्रकाशन’, मुम्बई ने छापी थी।

क़िताब के अध्याय 1.5 में सावरकर ने गाय की उपयोगिता को रेखांकित किया। उन्होंने लिखा कि गाय की अच्छी देखभाल करें क्योंकि वह उपयोगी है।उन्होंने उसे पूजने का विरोध किया है।
सावरकर ने लिखा- “जब आप गाय की पूजा करते हैं तो आप मानव जाति का स्तर नीचा करते हैं।

ईश्वर सर्वोच्च है,फिर मनुष्य का स्थान है और उसके बाद पशु जगत है।गाय तो ऐसा पशु है जिसके पास मूर्ख से मूर्ख मनुष्य के बराबर भी बुद्धि नहीं है। गाय को दैवी मानना मनुष्य का अपमान है।”

सावरकर लिखते हैं कि “यदि हमारे हिंदू राष्ट्र के किसी अभेद्य नगर पर हमला होता है और रसद खत्म हो रही है तो क्या हम नई रसद आने तक इंतजार करेंगे?

तब राष्ट्र के प्रति समर्पण, सेना की कमान संभाल रहे नेता के लिए यह कर्तव्य निर्धारित करता है कि वह गोवध का आदेश दे और गोमांस को खाने की जगह इस्तेमाल करे।

यदि हम गाय की ऐसे ही पूजा करते रहे तो हमारे सैनिकों के सामने फिर यही विकल्प होगा कि वे भूख से मर जाएं और नगर पर दूसरों का कब्जा हो जाए।”

गाय के अलावा ब्राह्मण और मंदिर को भी सावरकर ने लक्ष्य किया है।वे इसी निबंध में लिखते हैं कि-
“कुछ गायों, ब्राह्मणों और मंदिरों को बचाने जैसी मूर्खता के कारण देश का बलिदान हो गया।
इसमें कुछ भी गलत नहीं था यदि देश के लिए उनका बलिदान किया जाता। हर एक मुसलमान आक्रमणकारी को युद्ध जीतने दिया गया क्योंकि हिंदू गाय और मंदिर बचाना चाहते थे. इस तरह पूरा देश हाथ से चला गया।”

संदर्भ सामग्री: स्क्रॉल.इन, सत्याग्रह, आजतक.इन, द क्विंट,वेबदुनिया आदि आदि से साभार।

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