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गांधीजी की मानहानि:इस्तगासा पर बहस के बाद आदेश सुरक्षित

5 जुलाई को आदेश सुनाएगी अदालत

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० 5 जुलाई को आदेश सुनाएगी अदालत

ग्वालियर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बिना डिग्री वाला बताने पर जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के ख़िलाफ़ दायर इस्तगासा पर आज अदालत में तर्क प्रस्तुत किए गए। अदालत ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा है। आदेश के लिए 5 जुलाई की तारीख़ तय की है।

वरिष्ठ पत्रकार और गांधीवादी कार्यकर्ता डॉ राकेश पाठक ने गत 13 जून को ग्वालियर के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी नितिन कुमार मुजाल्दे के सामने इस्तगासा (निजी परिवाद) प्रस्तुत कर उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के ख़िलाफ़ गांधी जी की मानहानि करने पर मुकदमा चलाने की अपील की थी।

आज डॉ पाठक की ओर से अभिवक्तागण भूपेंद्र सिंह चौहान, पंकज सक्सेना और शुभेंदु सिंह चौहान ने अदालत के सामने तर्क रखे।

तर्क इस प्रकार थे…

1) जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को बिना डिग्री वाला बयान जिस संस्था में दिया है वह इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है।

2) मनोज सिन्हा ने जो कुछ कहा है वह उनके पद के लोक कर्तव्य के निर्वहन के अन्तर्गत नहीं आता। कानून ने अपराध करने के लिए किसी को विशेषाधिकार नहीं दिया है।

3) कानून कहता है कि किसी मृत व्यक्ति की मानहानि हो सकती है। राष्ट्रपिता के बारे में असत्य वाचन मानहानि कारक है।

4)भारतीय दण्ड संहिता 499(4) के अनुसार किसी के बौद्धिक ज्ञान की क्षति या उसे हेय करना भी मानहानि है। गांधी जी की डिग्री के बारे में मिथ्यावाचन उनकी मानहानि है।

5) मनोज सिन्हा एक ऐसी विचारधारा से संबद्ध हैं जो महात्मा गांधी की छवि को नष्ट करने और उनकी चरित्र हत्या के लिए निरंतर मिथ्या अभियान चलाती है। सिन्हा ने उक्त बयान गांधी जी छवि को मलिन करने के उद्देश्य से ही दिया है।

6) सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में एक फ़ैसले में स्पष्ट कहा है कि किसी व्यक्ति से सीधे संबंधित न होने पर भी कोई भी व्यक्ति मानहानि की शिकायत कर सकता है।
डॉ पाठक गांधीवादी विचारधारा को मानने वाले व्यक्ति हैं इसलिए वे महात्मा गांधी की मानहानि पर शिकायतकर्ता बन सकते हैं।

7)अपने वक्तव्य को साबित करने की जिम्मेदारी उप राज्यपाल मनोज सिन्हा की है अतः इस प्रकरण को चलाया जाए।

उपरोक्त तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के संबंधित फ़ैसले की प्रति प्रस्तुत करने को कहा है। इसके साथ ही न्यायालय ने अपना फ़ैसला सुरक्षित रखा है। इस बाबत आदेश के लिए आगामी 5 जुलाई की तारीख़ तय की है।

उल्लेखनीय है कि मनोज सिन्हा ने विगत 23 मार्च को ग्वालियर के एक निजी विश्वविद्यालय में एक आयोजन में कहा था कि “गांघी जी के पास कोई कानून की डिग्री नहीं थी।”

गांधी जी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले उनके इस निराधार बयान पर डॉ पाठक ने 24 मार्च को उन्हें कानूनी नोटिस भेज कर माफ़ी मांगने का अनुरोध किया था। नोटिस की प्रति राष्ट्रपति को भी भेजी गई थी।
नोटिस का जवाब न मिलने पर डॉ पाठक ने गत 13 जून को न्यायालय में इस्तगासा (निजी परिवाद) प्रस्तुत किया था।

न्यायालय ने इस अपील को दर्ज़ कर के इसकी पोषणीयता (Maintainability)पर तर्क के लिये 21 जून की तारीख़ तय की थी।

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