नई दिल्ली।भीड़ की हिंसा और लोगों को पीट-पीटकर मारने की घटनाओं के खिलाफ राजस्थान सरकार ने कड़ा कानून बनाया है. मॉब लिंचिग करने वालों और भीड़ में शामिल होकर लिंचिंग में सहयोग करने वालों को अब कड़ी सजा मिलेगी. राजस्थान लिंचिंग से संरक्षण विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पेश कर दिया गया है. 5 अगस्त को बहस के बाद यह विधेयक पारित होगा. इसके साथ ही ऑनर किलिंग रोकथाम विधेयक भी विधानसभा में रखा गया है. मंत्री शांति धारीवाल ने दोनों विधेयकों को सदन में रखा.
उम्रकैद और पांच लाख तक का होगा जुर्माना
मॉब लिंचिंग में मौत होने पर अब दोषियों को आजीवन कठोर कारावास और एक से पांच लाख रुपए तक का जुर्माने का दंड मिलेगा. लिचिंग में पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान विधेयक में किया है. लिचिंग में पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना होगा. लिचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो खुद लिचिंग करने पर है. मॉब लिंचिंग के मामलों की जांच इंस्पेक्टर स्तर या उससे ऊपर का पुलिस अफसर ही करेगा.
दोषियों को गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता पर भी सजा का प्रावधान
लिंचिंग के दोषियों को गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने पर भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है. लिचिंग के मामलों में गवाहों को धमकाने वालों के लिए 5 साल की जेल और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. मॉब लिंचिंग की घटना के वीडियो और फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित-प्रसारित करने पर भी एक से तीन साल की सजा और 50 हजार का जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.
गैर जमानती और संज्ञेय अपराध बनाया गया है
मॉब लिंचिंग को गैरजमानती और संज्ञेय अपराध बनाया गया है. मॉब लिंचिंग के गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से छूट मिलेगी. गवाहों की पहचान गुप्त रखी जाएगी. मॉब लिंचिंग से पीड़ित व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास करेगी. 50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर लगाने का प्रावधान भी होगा. मॉब लिंचिंग पर कानून बनने के बाद सरकार इसके नियम बनाएगी।साभारएनबीटी