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हमारा “कर्मवीर”
आज़ादी की अलख जगाने के लिए पं.विष्णुदत्त शुक्ल और पं. माधवराव सप्रे की प्रेरणा और उद्योग से जबलपुर (म प्र) से 17 जनवरी 1920 को साप्ताहिक “कर्मवीर” का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। पं. माखनलाल चतुर्वेदी को संपादन का दायित्व सौंपा गया। महाकौशल के प्रथम सत्याग्रही माखनलाल जी के कारावास के कारण प्रकाशन अवरुद्ध हो गया।
1923 के सफल ‘झंडा सत्याग्रह’ के बाद माधवराव सप्रे और गणेशशंकर विद्यार्थी ने माखनलाल जी पर दवाब बनाया कि वे ‘कर्मवीर’ का पुनः प्रकाशन करें। फलतः 4 अप्रेल 1925 को खंडवा से ‘कर्मवीर’ का पुनर्जन्म हुआ।
11 जुलाई 1959 तक “एक भारतीय आत्मा” दादा माखनलाल चतुर्वेदी के संपादन में ‘कर्मवीर’ प्रकाशित होता रहा। बाद में दादा के अनुज श्री बृजभूषण चतुर्वेदी उत्तराधिकारी हुए जिन्होंने 1975 तक ‘कर्मवीर’ को प्रकाशमान रखा।
स्वतन्त्रता के स्वर्ण जयंती वर्ष में श्री बृजभूषण चतुर्वेदी ने कर्मवीर का श्री विजयदत्त श्रीधर को सौंप दिया।
1 अगस्त 1997 को भोपाल से कर्मवीर का प्रकाशन फिर शुरू हुआ। मासिक पत्रिका के रूप में “कर्मवीर” का संपादन, प्रकाशन श्री विवेक श्रीधर कर रहे हैं।
मार्गदर्शक-
श्री विजयदत्त श्रीधर

प्रतिष्ठित पत्रकार विजयदत्त श्रीधर “नवभारत” के प्रधान संपादक रहे हैं। उन्होंने देशबंधु में भी महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वाह किया।
माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल की स्थापना,पत्रकारिता विषयक शोध एवं इतिहास प्रलेखन के प्रामाणिक प्रत्यनों तथा सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता के लिये विजय दत्त श्रीधर को वर्ष 2012 में भारत सरकार ने “पद्मश्री अलंकरण” से सम्मानित किया।
‘भारतीय पत्रकारिता कोश’आपकी महत्वपूर्ण कृति है जिसमें सन 1780 से सन 1947 तक की भारत की सभी भाषाओं और तत्कालीन भारत के पूरे भूगोल का शोधपरक इतिहास विवेचित है।
आपकी पुस्तक ‘पहला संपादकीय ‘को भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार (वर्ष 2011) से सम्मानित किया है। शिक्ष एवं शोध में असाधारण अवदान के लिये स्वराज संचालनालय ,संस्कृति विभाग,मध्यप्रदेश शासन के महर्षि वेद व्यास राष्ट्रीय सम्मान (वर्ष 2012-2013) से सम्मानित किया गया।
उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘माधवराव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान'(2015) से सम्मानित किया है।
‘माधवराव सप्रे रचना संचयन’ (साहित्य अकादेमी ),’समकालीन हिंदी पत्रकारिता ‘ और ‘एक भारतीय आत्मा’आपकी संपादित पुस्तकें हैं।
विजय दत्त श्रीधर माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ,भोपाल में शोध निदेशक (2005-2010) रहे हैं।
सितंबर 1981 से पत्रकारिता ,जनसंचार और विज्ञान संचार की शोध पत्रिका ‘आंचलिक पत्रकार’ का संपादन कर रहे है।
प्रधान संपादक-
डॉ राकेश पाठक (डॉ राकेश पाठक के बारे में पढे)
संपादक-
विवेक श्रीधर (विवेक श्रीधर के बारे में पढे)